Saturday 26 April 2014

गौतम उपाध्याय वाराणसी-
इन चुनावों में अब तक किसी नेता के नामांकन के दौरान इतना बड़ा जनसैलाब नहीं देखा गया, जितना नरेंद्र मोदी के नामांकन में दिखा. सवाल उठना लाजमी है कि आखिर ये जनसैलाब क्या कह रहा है. क्या ये 16 मई को सामने आने वाले नतीजों का नमूना हैं. या फिर सिर्फ लोगों की उत्सुकता.....

Saturday 15 February 2014

'एग्जिट प्लान' को बखूबी अंजाम दिया केजरीवाल ने

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'एग्जिट प्लान' को बखूबी अंजाम दिया केजरीवाल ने
प्रशांत सोनी, नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को जन लोकपाल बिल का जो हश्र हुआ, उसे देखकर सरकार की मंशा पर भी कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या सीएम अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार खुद ही नहीं चाहती थी कि बिल पेश हो।

यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है, क्योंकि जब स्पीकर से इजाजत लेकर सीएम केजरीवाल ने सदन में बिल पेश कर दिया था और स्पीकर ने उसे स्वीकार भी कर लिया था, उसके बावजूद सरकार और स्पीकर बिल पर वोटिंग कराने के लिए राजी क्यों हुए, जबकि यह तय था कि अगर वोटिंग हुई तो बिल पेश करने के खिलाफ ही होगी।

केजरीवाल गुरुवार को ही साफ कर चुके थे कि अगर सदन में बिल पेश करने या पास करने को लेकर वोटिंग होती है और फैसला बिल के और सरकार की मंशा के खिलाफ जाता है, तो वह इस्तीफा दे देंगे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या केजरीवाल खुद ही चाहते थे कि बिल को लेकर वोटिंग हो, ताकि उन्हें सरकार से एग्जिट करने का मौका और रास्ता मिल जाए।
रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली
आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा इस्तीफा दिए जाने से सारी राजनीतिक गतिविधियां अब राजनिवास पर जाकर केंद्रित हो गई हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि उपराज्यपाल नजीब जंग दिल्ली को राजनीतिक भंवर से निकालने के लिए क्या निर्णय लेंगे? लेकिन माना जा रहा है कि इस मसले पर फैसला उपराज्यपाल नहीं राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी करेंगे। इस राजनीतिक घटनाक्रम पर एलजी तो सिर्फ एक संदेशवाहक के तौर पर काम करेंगे। कयासों के इस दौर के बीच जंग ने केजरीवाल के इस्तीफे की चिट्ठी राष्ट्रपति को भेज दी है। उन्होंने राष्ट्रपति और गृह मंत्रालय को केजरीवाल के इस्तीफे के बाद के ताजा हालात की रिपोर्ट भी भेजी है।

सरकार के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने एक खास रणनीति के तहत कल रात अपना इस्तीफा वैसे तो राजनिवास जाकर उपराज्यपाल को सौंपा है, लेकिन असल में उन्होंने अपना यह इस्तीफा सीधे राष्ट्रपति को लिखा है और उसकी कॉपी उपराज्यपाल को सौंपी है। पत्र में उन्होंने जानकारी दी है कि सरकार की कैबिनेट ने इस्तीफा देने का निर्णय लिया है, इसलिए दिल्ली विधानसभा भंग कर नई विधानसभा बनाने के लिए जल्द चुनाव करवाएं जाएं। ऐसा कर केजरीवाल ने गेंद उपराज्यपाल के बजाय राष्ट्रपति के पाले में डाल दी है।

राजनिवास सूत्रों के अनुसार इस मसले पर उपराज्यपाल की ओर से राष्ट्रपति भवन को न तो कोई सलाह दी जाएगी, न ही तत्कालीन राजनैतिक समीकरणों को देखते हुए कोई सिफारिश की जाएगी। राजनिवास से जुड़े एक आला अधिकारी के अनुसार ऐसे संवेदनशील मामलों में राजनिवास का काम सिर्फ 'संदेशवाहक' का होता है।
http://oursindianpolitics.blogspot.in/
देश वासियों को खुश होना चाहिये कि सस्ते में निपट गये कहीं आम आदमी पार्टी की अनुभवहीनता अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होती तो फिर सोच सकते हो इसी कितनी भारी कीमत चुकानी पड सकती थी.
भईया..युगपुरुष ने आगे पीछे सब कुछ सोचकर फैसला लिया है..पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर पूरी जिन्दगी के लिए दिल्ली में एक मुफ्त में बंगला,चालीस हजार रूपये महिना पेंशन,ऑफिस खर्च के लिए बीस हजार रूपये महीना,दो निजी सहायक,सुरक्षा गार्ड और पुरे भारत में कही भी जाने के लिए मुफ्त हवाई टिकट...केजरीवाल जी मजे से भोगिये..जब लम्पट जगदम्बिका पाल सिर्फ दो घंटे के लिए यूपी का मुख्यमंत्री बनकर लखनऊ में बंगला और पेशन का मजा ले सकता है तो आप क्यों पीछे रहे ??..और सिर्फ केजरीवाल ही नही...सारे पूर्व मंत्री भी पेंशन और दिल्ली में बंगले के हकदार हो गये .... दिल्ली वालो..अपने सर का बाल नोचो..क्या 'कजरी' नाम का "आम" आदमी त्यागेगा इन सभी सुविधाओं के..अपने आदर्श के नाम पर..??!!..

Wednesday 29 January 2014

मेरे प्रिय नेताओ,
बड़ा बुरा लगा कि IBA ने एक बार फिर आप लोगो को डांट कर कमरे से निकाल दिया. कोई बात नहीं, हम जानते हैं कि नेताओ का एक सबसे बड़ा गुण बेशर्मी है, इसलिय बार बार IBA के कमरे में बेइज्जत होने के लिए घुसिएगा और वोह 5% का लोलीपोप दे कर बार बार आपकी और indirectly हमारी इन्सल्ट करेगी. कैसे हिम्मत होती है IBA की इस तरह की बात करने की. जैसे ही IBA 5% की बात करती आप को कमरे से यह कह कर बाहर आ जाना चाहिए था की हम तो 5 दिन की strike की कॉल दे रहे है. हाथ पकड़ कर आपका वापस बुलाते.

एक बात बताओ यार क्या किसी पंडित ने तुमको बताया है की केवल Single Point Agenda न रखो. अगर केवल एक बात और केवल एक बात वेज रिविजन में रखी होती की भैया हमें तो सिक्स्थ पे कमीशन के बराबर लेना है और जब भी सरकार का अगला वेज रिविजन हो तो हमको भी उसमे ले लेना तो क्या गलत बात होती. बहत्तर इश्यूज वेज revisun में घुसेड दिया और वेज revision की माँ की आँख कर दी.

हाँ गलत यह होता की जो पांच साल तक आप लोग बैंक एम्प्लाइज को बेवक़ूफ़ बनाते हो वह नहीं बना पाते. आपकी इम्पोर्टेंस ख़तम हो जाती. क्या आपको पता है की बीस लाख आंखे आपकी ओर कितनी आशा भरी नजरो से देख रही हैं और आप और IBA 5% की बात कर रहे हैं. शर्म है.

IBA जब कहती है की वोह 5% से ज्यादह नहीं दे सकती क्योकि प्रॉफिट कम है तो कृपा कर के उसे भारतीय रेल की स्थिति बता देते कि भैया उसमे भी तो करोडो का लोस होता है तब काहे बढ़ी हुई पे दे रहे हो. पर हमें पता है की आप यह नहीं बोलोगो क्योकि एक तो आपकी उम्र हो गयी है दूसरा आप च्यवनप्राश नहीं खाते हो. ड्राई फ्रूट जब आता है तो काजू उठा लेते हो , बादाम फिर भी नहीं खाते. दिमाग कहाँ से तेज होगा. और negotiation के लिए तेज दिमाग और दृढ इच्छाशक्ति की बहुत आवश्यकता है.

आपसे विनर्म अनुरोध है की नए बच्चों को आगे लाये. पढ़े लिखे बच्चे हैं नए ख्यालात लायेंगे. आप परदे के पीछे से गाइड करे और एक अनुभवी बुजुर्ग का रोले निभाए. अब समय है की अपना स्वार्थ छोड़ कर बैंक एम्प्लाइज की दुर्दशा देखे.

हमारी आपको यह सलाह है की कल जब आप दाढ़ी बनाये तो शीशे में अपना मुह देखे और मारे शर्म के उसे नीचे कर ले क्योकि हमारी आज की pathetic condition के लिए आप और केवल आप ही जिम्मेदार हैं. आपके लिए यही सजा काफी है. यह सोच सोच कर डरा करे की कहीं बैंकिंग इंडस्ट्री में भी कोई केजरीवाल खड़ा हो गया तो आपका और आपकी ऐश का क्या होगा.

वैसे तो आप काफी बिजी रहते है पर अगर आपके पास कभी कुछ समय हो तो कृपया विचार कर हमें बताये कि:-

- हमारी पे सिक्स्थ पे कमीशन से कम क्यों है

- हम रोज़ पांच बजे के बाद क्यों काम करे

- हम सप्ताह में छह दिन क्यों काम करे.

- हमारी PL क्यों लैप्स हो जाती है. सेंट्रल की तरह दस महीने क्यों नहीं है.

- अगर हमको साल में 30 Pl, 12 CL इत्यादि मिलती है तो लेने क्यों नहीं दिया जाता

- सबसे बड़ी यूनियन SBI में है, तो अपने बाकी मेम्बरान को वह सारे बेनिफिट क्यों नहीं देते है जो SBI में है.

- एक शाखा पांच स्टाफ से कम में क्यों खुलने देते हैं.

- अधिकारी क्लर्क का काम और क्लर्क चपरासी का काम क्यों करे.

- हर जिले में रिज़र्व स्टाफ क्यों नहीं है ताकि छुट्टी जाने पर भेजा जा सके.

- ट्रेनिंग आने पर कैंसिल क्यों कर दी जाती है.

- नए स्टाफ नौकरी क्यों त्याग रहे हैं. क्या कारण है की बैंक में कोई भी नौकरी नहीं करना चाहता है.

- पिछले पांच सालो में कितने नेताओ को chargesheet मिली

- हमारी पेंशन क्यों नहीं बढती है.

- IBA क्यों RTI में नहीं है. क्या आपने Delhi High Court / सुप्रीम कोर्ट में इस सन्दर्भ में मुकदमा किया.

आपने सुना होगा की वीर भोगे वसुंधरा. आप मानो न मानो आप कायर हो. इसलिए आपमें हमारे लिए लड़ने का बूता ही नहीं है. किसने आपको मना किया है की न्यूज़ पेपर में फुल पेज का comparative wage scale का ऐड न दे, ताकि दुनिया को पता चले की क्या स्थिति है. अभी हर आदमी को यह लगता है की बैंक में बहुत अच्छी पे है. किसने आपसे कहा है की आप indefinit strike न करे. अगर indefinite strike fail हो भी गयी तो भविष्य में कोई नहीं कहेगा की indefinite strike क्यों नहीं करते है. अपनी नियति से हम समझौता कर लेंगे.
सेंट्रल के एक क्लर्क से कम पे एक PO की है. एक सफाई कर्मचारी से कम पे एक नए क्लर्क की है. आप कैसे यह दशा देख कर चैन से सो सकते हैं. धिक्कार है आपको और आपकी इस ओछी राजनीती को.
पुरुषार्थ करे हम आपके साथ है. आप लड़ सकते हैं. बस हनुमान जी की तरह आपको अपना बल याद दिलाने की जरूरत है.
याद रखे की इस बार बेवक़ूफ़ बनाया तो आपका मालिक भगवान भी नहीं होगा. मुह दिखने लायक तो आप अभी भी नहीं बचे हैं. आपकी इज्जत आपके खुद के हाथ में हैं और आपका भविष्य हमारे हाथो में.
कभी खाली हो तो सोचियेगा की 7th pay Commission के बाद बैंक अधिकारी एवं कर्मचारी दूसरो के सामने भिखारी जैसे लगेंगे और आप शायद भिखारियों के शहंशाह.




Wah Banaras.........